Monday, October 2, 2023

केन्द्रीय सहयोग पर राज्य सरकार द्वारा की जा रही राजनीति ठीक नहीं:जयराम ठाकुर

Monday 2nd Oct 2023 at 6:27 PM

मैंने गांव-गांव जाकर देखा है, आपदा प्रभावितों को राहत नहीं मिली है 

*महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को नेता प्रतिपक्ष ने दी श्रद्धांजलि

*देश में स्वच्छता में जनभागीदारी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अहम योगदान

 

शिमला: 2 अक्टूबर 2023: (कार्तिका सिंह//देवभूमि स्क्रीन डेस्क)::


देश और दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारतीय जनता पार्टी हिमाचल प्रदेश में भी पूरी तरह से सक्रिय है। एक बात सभी ने नोट की है कि भाजपा को अब जीत या हार से अब क्लोई फर्क नहीं पड़ता। भाजपा ने अपने केंद्र को इतना सक्रिय रहने की विशेष ट्रेनिंग दी है कि हालात कुछ भी  हों भाजपा निरंतर गतिशील रहती है। ज़ाहि बता पंजाब, हरियाणा और हिमाचल में भी देखि जा रही है।


हिमाचल प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके आदर्शों को याद किया। उन्होंने कहा कि बापू के दिखाए गए रास्ते पर आज पूरी दुनिया चल रही है। मानवता की भलाई के  शांति और अहिंसा से बेहतर कोई रास्ता है ही नहीं। स्व० लाल बहादुर शास्त्री के राष्ट्रबोध से हम भारत को विश्व गुरु बना सकते हैं। उन्होंने दिखाया कि सीमित संसाधनों में भी देश को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। उनका व्यक्तित्व ही ऐसा जादू भरा था कि उनके एक आह्वाहन पर देश के लोगों ने एक वक़्त का भोजन छोड़ दिया था। वह जिए भी देश के लिए और मरे भी देश के लिए। ऐसी महान विभूतियों का देश ऋणी है और हमेशा रहेगा भी। 

 

इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष ने राज्य सरकार पर हमला करते हुए कहा कि केंद्र से मिल रही मदद के मामले में राज्य सरकार द्वारा की जा रही राजनीति दुर्भाग्यपूर्ण है। केंद्र सरकार हिमाचल प्रदेश की लगातार  मदद कर रही है। हज़ारों करोड़ रुपए अलग-अलग मदों में राज्य सरकार को मिल चुके हैं। आवास से लेकर सड़क और नेशनल हाई वे के लिए अलग से राशि जारी की जा चुकी है लेकिन राज्य सरकार ने ‘कुछ नहीं दिया, कुछ नहीं दिया’ की रट लगाई हुई है।  उन्होंने कहा कि अभी भी केंद्र की टीमें नुक़सान का जायज़ा लेने के लिए हिमाचल  विभिन्न जगहों का सर्वे कर रही हैं। इसलिए राज्य सरकार द्वारा इस तरह की बातें और भी हास्यास्पद हैं। 

 

आपदा और राहत की बात करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मैंने आपदा प्रभावित बहुत जगहों का दौरा किया और अभी भी कर रहा हूं। आपदा आने के समय जिस तरह से लोगों को सरकार से कोई मदद नहीं मिल पाई थी। उसी तरह दो महीनें बीतने के बाद भी लोगों को कोई राहत नहीं मिल पाई हैं। धरातल की स्थितियां सरकारी दावों के बिलकुल विपरीत हैं। कई ऐसी जगहें भी हैं जहां आपदा के बाद से कोई अधिकारी पहुंचा ही नहीं है। ऐसी परिस्थिति में लोगों के नुक़सान का सही आंकलन और सही राहत कैसे मिल पाएगी। उन्होंने कहा कि लोगों की इस शिकायतों पर भी सरकार को ध्यान देना होगा। 

 

प्रधानमंत्री की चर्चा करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में देश में स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ी है। प्रधानमंत्री के आह्वाहन पर आज पूरा देश स्वच्छता के प्रति सजग है और अपनी जनभागीदारी सुनिश्चित कर रहा है। उन्होंने स्वच्छता को आम जनमानस के जीवन का मिशन बनाने हेतु लोगों को प्रेरित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया।


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Tuesday, August 1, 2023

मुख्यमंत्री ने ‘व्यावसायिक मौन पालन’ पुस्तक का विमोचन किया

इस कारोबार में छिपा है जीवन में मिठास भरी तरक्की का राज़ 


शिमला
//लुधियाना: 31 जुलाई 2023: (कार्तिका सिंह//देवभूमि स्क्रीन 
डेस्क)::

जब कुछ ही बरस पहले पंजाब कृषि विश्व विद्यालय लुधियाना ने महिलायों के लिए सेल्फ हैल्प ग्रुप बनाने का अभियान चलाया तो देहात की बहुत सी महिलाएं आगे आईं। आरम्भ में जो काम चुने गए उनमें शहद बनाने और बेचने का काम सबसे अधिक लोकप्रिय हुआ। उन्होंने यूनिवर्सिटी की ट्रेनिंग के बाद सबंधित विभागों से सब्सिडी भी ली और छोटे छोटे क़र्ज़ भी लिए। क़र्ज़ लेते वक्त इसका खतरा भी उनके ज़हन में था कि पता नहीं क़र्ज़ लौटाया भी जाएगा या नहीं। कइयों ने तो अपने पति और घर परिवार से इस क़र्ज़ का पर्दा भी रखा था।  लेकिन उनकी हिम्मत और संघर्ष ने रंग दिखाया। उन पर शीघ्र ही लक्ष्मी की कृपा होने लगी। उनके पास पास की आवक बढ़ती चल गई। क़र्ज़ भी उत्तर गए और बैंक बैलेंस भी बढ़ गया। सफलता देख कर उनके पति भी आगे आए। फिर सारे का सारा परिवार ही साथ देने लगा। देखते ही देखते उन सभी के ब्रांड इस्टेब्लिश हो आगे। इसी तरह के  प्रयोग अन्य राज्यों में भी हुए। 

पारदर्शी किसान सेवा याेजना, कृषि विभाग,उत्तरप्रदेश के सूत्रों ने बताया कि मानव जाति की सबसे बड़ी मित्र होने के साथ छोटी सी मधुमक्खी से प्रकृति के विकास में बड़ा योगदान दिया है। मधुमक्खी मधुर एवं पौष्टिक खाद्य पदार्थ अर्थात शहद का उत्पादन करती है। लीची नीबू प्रजातीय फलों, अमरूद, बेर, आड़ू, सेब इत्यादि एवं अन्य दलहनी एवं तिलहनी फसलों में मधुमक्खियों द्वारा परागण अत्यन्त महत्वपूर्ण है। परीक्षणों से यह भी जानकारी मिली है कि पर-परागण के बाद जो फसल पैदा होती है, उन दानों का वजन एवं पौष्टिकता अच्छी होती है। इससे स्पष्ट होता है कि मधुमक्खियाँ केवल शहद ही पैदा नहीं करती वरन फसलों की पैदावार बढ़ाकर खुशहाल बनाकर प्रदेश एवं देश को आर्थिक पौष्टिक खाद्यान्न उपलब्ध कराने में मद्द करती हैं।

प्रत्येक मधुमक्खी परिवार में तीन प्रकार की मक्खी पायी जाती हैं, जिनमें रानी, नर मक्खियाँ एवं कमेरी मक्खियाँ होती हैं। मधु विटामिन के तौर पर भी इस्तेमाल होती है और दवा के तौर पर भी। गौरतलब है कि मधु में जो निम्नलिखित तत्व पाये जाते  हैं उनमें जल सबसे महत्वपूर्ण होता है। 


इसके साथ ही इसमें 17 से 18 प्रतिशत फलों की चीनी
(फ्रक्टोज) 42.2 प्रतिशत अंगूरी चीनी (ग्लूकोज) 34.71 प्रतिशत एल्यूमिनाइड 1.18 प्रतिशत और खनिज पदार्थ (मिनरल्स) 1.06 प्रतिशत। इसके अतिरिक्त मधु में विटामिन सी, विटामिन बी, सी, फॉलिक एसिड, साइट्रिक एसिड इत्यादि महत्वपूर्ण पदार्थ भी पूरी तरह से पाये जाते हैं। मधु भोजन के रूप में, मधु दवा के रूप में, एवं सौन्दर्य प्रसाधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।

इस कारोबार के लिए मौन ग्रह की स्थापना भी करनी पड़ती है। आरम्भ में यह काम काफी म्हणत मांगता है लेकिन धीरे धीरे सब कुछ लाईन पर आ जाता है। मैदानी भाग में इस कार्य को शुरू करने का उपयुक्त समय अक्टूबर और फरवरी में होता है। इस समय एक स्थापित मौन वंशों से प्रथम वर्ष में 20 से 25 किलोग्राम दूसरे वर्ष से 35-40 किलोग्राम मधु का उत्पादन हो जाता है। स्थापना का प्रथम वर्ष ही कुछ महंगा पड़ता है। इसके बाद केवल प्रतिवर्ष 8 या 10 किलोग्राम चीनी एवं 0.500 किलोग्राम मोमी छत्ताधर का रिकरिंग खर्च रहता है। प्रति मौन वंश स्थापित करने में लगभग 2450 रूपये व्यय करना पड़ता है। उद्यान विभाग द्वारा तकनीकी सलाह मुफ्त दी जाती है। मधुमक्खी पालकों की मधुमक्खियों का प्रत्येक 10वें दिन निरीक्षण जो अत्यन्त आवश्यक है, विभाग में उपलब्ध मौन पालन में तकनीकी कर्मचारी से कराया जाता है। इस तरह कदम कदम पर सरकार के विभाग पूरा सहयोग और मार्गदर्शन भी देते हैं। इससे मधु का कारोबार और भी मुनाफे वाला हो जाता है। 

इस कारोबार में महत्वपूर पड़ाव होता है मधु के निष्कासन का। इस कार्य को बहुत सावधानी के साथ और निपुणता से करना आवश्यक होता है। इसी से बढ़ता है वास्तविक उत्पादन भी। 

आजकल आधुनिकतम ढंग से मधु निष्कासन का कार्य किया जाता है जिसमें अण्डे बच्चे का चैम्बर अलग होता है। शहद चैम्बर में मधु भर जाता है। मधु भर जाने पर मधु फ्रेम सील कर दिया जाता है। शील्ड भाग को चाकू से परत उतारकर मधु फ्रेम से निष्कासक यंत्र में रखने से तथा उसे चलाने से सेन्ट्रीफ्यूगल बल से शहद निकल आता है तथा मधुमक्खियों का पुनः मधु इकट्ठा करने के लिए दे दिया जाता है। इस प्रकार मधुमक्खी वंश का भी नुकसान नहीं होता है तथा मौसम होने पर लगभग पुनः शहद का उत्पादन भी बहुत अच्छी तरह से हो जाता है। 

मधु के कारोबार का स्वदेशी बाज़ार भी पूरे देश में फैला हुआ है। इसका आर्थिक ढांचा भी अब बहुत बड़ा हो गया  है। इसलिए मौन पालन (मधुमक्खी) का आर्थिक आय-व्यय विवरण भी बहुत तरकीब से रखना पड़ता है। लागत भी निकालनी होती है, म्हणत का मौल भी और मुनाफा भी। मधुमक्खी पालन का महत्व फलों, तरकारियों, दलहनी, तिलहनी फसलों पर परागण के द्वारा उपज की बढ़ोत्तरी तो होती ही है, इसके साथ-साथ इसके द्वारा उत्पादित मधु, मोम का लाभ भी मिलता है। इस तरह इस कारोबार में जुटे लोग जानते हैं कि यह कितनी बड़ी ऊंचाई तक पहुंच चुका है। बहुत से व्हाटसअप ग्रुप इसी कारोबार के लोइए बने हुए हैं जिनमें मधु के साथ साथ मधु मक्खियों की भी खरीदो फरोख्त होती है। ग्रुप में ऑनलाइन ही तस्वीरों और वीडियो से सौदा तय हो जाता है और  पेमेंट भी हो जाती है। 

स्थापना के प्रथम वर्ष में तीन मौन वंश से दो अतिरिक्त मौन वंश एवं 20-25 किलोग्राम मधु का उत्पादन करके लगभग 2000 से 2500 रूपये की आय प्रति वर्ष होती है। दूसरे वर्ष में केवल 300 से 350 रूपये व्यय करके मधु का उत्पादन करके लगभग 3500 रूपये से 4000 रूपये तक की प्रतिवर्ष आय की जा सकती है। इस तरह ज़ेह सिलसिला लगातार हर बरस बढ़ता चला जाता है। 

अब इस सारे कारोबार पर एक विशेष पुस्तक भी आई है। हिमाचल के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज उद्यान विभाग द्वारा प्रकाशित ‘व्यावसायिक मौन पालन’ पुस्तक का विमोचन भी किया है। 

इस अवसर पर बागवानी, राजस्व एवं जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह नेगी, विधायक चंद्रशेखर, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, निदेशक बागवानी संदीप कदम, उद्यान विभाग के डॉ. कर्म सिंह वर्मा, डॉ. रंजन शर्मा तथा इस पुस्तक के लेखन डॉ. शरद गुप्ता व दमेश शर्मा उपस्थित थे। 

इस पुस्तक में मधुमक्खी पालन हेतु नवीनतम जानकारियों को समाहित किया गया है। यह किताब प्रदेश के मौन पालकों को मात्र 100 रुपये में उपलब्ध होगी। इस किताब को निदेशालय उद्यान विभाग, शिमला से प्राप्त किया जा सकता है तथा विभाग के ई-उद्यान पोर्टल पर भी यह उपलब्ध रहेगी। 

Monday, July 3, 2023

मामला केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में हिमाचल की हिस्सेदारी का

 Monday 3rd July 2023 at 4:04 PM

मुख्यमंत्री ने कहा हिस्सेदारी के लिए उठाए जा रहे हैं ठोस कदम 

शिमला//मोहाली: 03 जुलाई 2023: (कार्तिका सिंह//देवभूमि स्क्रीन डेस्क)::

Photo by Doller Gill on Unsplash

केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ पर पंजाब और हरियाणा की दावेदारी के साथ साथ अब हिमाचल ने भी अपना दावा  ज़ोरदार ढंग से जता दिया है। इस तरह केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ पर हिमाचल प्रदेश की दावेदारी इस समस्या को और भी नाज़ुक और गंभीर न देगी। गौरतलब है कि चंडीगढ़ के साथ साथ मोहाली और दुसरे इलाकों में भी हिमाचल से आए लोगों की संख्या  तेज़ी से बढ़ती जा रही है। इन सभी की मनोभावनाएं भी अब इस तरफ जुड़ चुकी हैं कि चंडीगढ़ अब हिमाचल का भी है। इसी बीच हिमाचल के मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि मामला केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में हिमाचल की हिस्सेदारी के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।  इसके साथ ही विद्युत परियोजनाओं में भी हिमाचल सरकार उचित हिस्सेदारी पर बल दे रही है। 

इस सारे घटनाक्रम पर मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार पड़ोसी राज्यों के साथ हिमाचल के अधिकारों से सम्बंधित सभी लम्बित मुद्दों का सर्वमान्य समाधान निकालने के लिए दृढ़ता से कदम उठा रही है। अरसे से यह मुद्दे लम्बित होने के कारण हिमाचल और यहां के लोगों को वांछित लाभ नहीं मिल पाए हैं। वर्तमान प्रदेश सरकार कार्यभार संभालने के उपरांत से ही राज्य हित से जुड़े मुद्दे विभिन्न मंचों पर केंद्र सरकार और संबंधित राज्यों के साथ उठा रही है। सियासत के मौजूदा दौर में हिमाचल प्रदेश का इस तरह सतर्क होना बहुत महत्वपूर्ण है। इसके दूरगामी परिणाम भी निकलने हैं। 

चंडीगढ़ पर दावेदारी और हिस्सेदारी के साथ साथ ही मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) से बिना अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) के बोर्ड की परियोजनाओं से जल प्राप्त करने की व्यवस्था हिमाचल के हितों की बेहतरीन पैरवी से ही सम्भव हुई है। अब राज्य सरकार ने केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ पर अपने वैध अधिकारों के लिए प्रयास और तेज कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 स्पष्ट रूप से चंडीगढ़ में हिमाचल प्रदेश को 7.19 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिकार देता है। प्रदेश को शुरू से ही इस अधिकार से वंचित रखा गया है, जो हिमाचल तथा यहां के लोगों के साथ अन्याय है। अब राज्य सरकार चंडीगढ़ में 7.19 प्रतिशत हिस्सेदारी सहित राज्य के सभी वैध अधिकारों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न मंचों पर अपनी आवाज बुलंद कर रही है। अब हिमाचल से जुड़े सामाजिक संगठन भी इस संबंध में जल्द ही अपना सुर जोरशोर से उठा सकते हैं। 

चंडीगढ़ पर हिस्सेदारी और दावेदारी के चलते राज्य सरकार ने इस मामले से सम्बंधित सभी पहलुओं पर विचार करने के लिए एक मंत्रिमण्डलीय उप समिति का गठन किया है। उप-समिति द्वारा विस्तृत चर्चा के उपरांत मंत्रिमण्डल के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। सरकार मंत्रिमण्डलीय उप-समिति के निष्कर्षों और सिफारिशों पर विचार करने के बाद आगे की कार्रवाई तय करेगी। जिस तरह तेज़ी से हिमाचल सरकार सक्रिय हुई है उसे देखते हुए ज़ाहिर है कि मंत्रिमंडल की उपसमिति भी जल्द ही पूरी सरगर्मी दिखाएगी। 

इलाके के साथ साथ बिजली के मामले में भी सारी बातें खुल कर सामने आने लगी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार बिजली हिस्सेदारी में प्रदेश के बकाया की वसूली के लिए सभी विकल्प तलाश कर रही है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने नवंबर, 2011 में प्रदेश में बीबीएमबी की सभी परियोजनाओं में 7.19 प्रतिशत बिजली हिस्सेदारी देने का निर्णय दिया था। वर्तमान में, हिमाचल को अपना हिस्सा तो मिल रहा है, लेकिन राज्य को 13,066 मिलियन यूनिट बिजली का बकाया अभी भी जारी नहीं किया गया है। 

इसके अलावा, राज्य ने प्रदेश में स्थापित सभी बीबीएमबी परियोजनाओं में न्यायोचित ढंग से अपनी बिजली हिस्सेदारी बढ़ाने की भी मांग की है, क्योंकि राज्य के प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से ही इन परियोजनाओं के माध्यम से विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। इस उत्पादन से भी इस पर्वतीय राज्य की मांगें अब खुल कर उठने लगी हैं। निकट भविष्य में पानी और बिजली दोनों ही महत्वपूर्ण मुद्दे रहेंगे। 

इस मामले में उपलब्ध आंकड़ों का विवरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बीबीएमबी की बिजली परियोजनाओं से वर्तमान में पंजाब को 51.8 प्रतिशत, हरियाणा को 37.51 प्रतिशत और हिमाचल प्रदेश को केवल 7.19 प्रतिशत बिजली आवंटित होती है। 

उन्होंने कहा कि भागीदार राज्यों द्वारा हिमाचल प्रदेश के लिए उदारतापूर्वक हिस्सेदारी बढ़ाने पर विचार किया जाए, क्योंकि इन बिजली परियोजनाओं के निर्माण के कारण प्रदेश के हजारों परिवारों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ा और प्रदेश की हजारों हेक्टेयर भूमि भी जलमग्न हो गई थी। 

उन्होंने इन परियोजनाओं में भागीदार राज्यों के बीच समान वितरण की आवश्यकता पर बल देते हुए दोहराया कि राज्य सरकार प्रदेश की उचित हिस्सेदारी प्राप्त करने के लिए दृढ़ता से कार्य कर रही है तथा न्याय मिलने तक राज्य के मुद्दों को विभिन्न मंचों पर पूरी शिद्दत से उठाया जाएगा।

Thursday, June 15, 2023

हिमाचल प्रदेश सरकार नई पर्यटन नीति बनाएगी: मुख्यमंत्री सुख्खू

 15th June 2023 at 6:35 PM

अनछुए स्थलों को पर्यटन के दृष्टिगत बढ़ावा दिया जाएगा


शिमला
:15 जून 2023: (कार्तिका कल्याणी सिंह//देवभूमि स्क्रीन डेस्क)::

पहाड़ी क्षेत्रों में जाओ तो कदम कदम पर प्राकृतिक सुंदरता आपका स्वगत करती है। वहां की शुध्द हवा और शुद्ध पानी एक नई ज़िंदगी का अहसास करवाता है। वहां कदम कदम पर ऐसे रहस्य हैं जो प्रकृति से सुर मिलते ही बहुत सहजता से खुलने लगते हैं। वहां बहुत से मंदिर हैं जिनके दिए की लौ निराशा के अंधेरों में डूबे लोगों को बुलाती है, पुकारती है और सचमुच रास्ता भी दिखाती है। बहुत सी ऐसी जगहें अभी भी अज्ञात हैं जी ी खोज पर काम होना अभी बाकी है। 

इस मकसद के लिए सर्कार भी गंभीर है। क्या समाज भी गंभीर हो कर इसका फायदा उठा पाएगा? प्रदेश सरकार राज्य के अनछुए स्थलों को बढ़ावा देकर पर्यटकों को आकर्षित करने के उद्देश्य से नई पर्यटन नीति तैयार करने पर गहन विचार कर रही है। यह बात मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज यहां पर्यटन विभाग की विभिन्न परियोजनाओं की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। इस समीक्षा बैठक में इसी मुद्दे से सबंधित बहुत सी अन्य बातों पर भी विचार विमर्श हुआ। 

राज्य के लिए जिस नई पर्यटन नीति की चर्चा इस पोस्ट में भी हो रही है उस पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश में आगामी पांच वर्षों में पर्यटकों की संख्या को 3 करोड़ से बढ़ाकर 5 करोड़ करने के दृष्टिगत कार्य कर रही है। प्रकृति ने प्रदेश को आपार सौंदर्य से नवाजा है तथा इस सम्पदा का दोहन कर अधिक से अधिक पर्यटकों को प्रदेश की ओर आकर्षित करने की आवश्यकता है।

नई पर्यटन नीति का संक्षिप्त सा विवरण देते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि मई, 2023 तक हिमाचल प्रदेश में लगभग 72 लाख पर्यटकों ने भ्रमण किया है। उन्होंने पर्यटकों की संख्या का सटीक आंकड़ा पता लगाने तथा पर्यटन अधोसंरचना में सुधार करने के लिए पर्यटन विभाग को डॉटा संकलन की प्रणाली तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश की आर्थिकी को सुदृढ़ करने में पर्यटन क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राज्य सरकार ने पर्यटन सम्बंधी परियोजनाओं के विकास के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की है।

इस नई योजना के बहुत से अन्य पहलू भी हैं। मुख्यमंत्री ने पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए पर्यटन विभाग में विपणन प्रयासों तथा स्टाफ को व्यवस्थित करने की महत्ता पर भी बल दिया।

सैलानियों और प्रकृति प्रेमियों का ह्रदय समझे जाते ज़िला कांगड़ा को पर्यटन राजधानी के रूप में विकसित करने से सम्बंधित परियोजनाओं की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने विभाग को आगामी विचार के लिए अवधारणा पत्र तैयार करने के निर्देश दिए। इन परियोजनाओं में सकोह में रोलर स्केटिंग रिंक, परागपुर में गोल्फ कोर्स, मैंझा में शीर्ष रिजॉर्ट, नरघोटा में पर्यटन गांव तथा कांगड़ा में प्रस्तावित ऐरो सिटी शामिल है। इसके अतिरिक्त जिला कांगड़ा के नगरोटा-बगवां विधानसभा क्षेत्र में नौरा खड्ड में थीम आधारित सेटेलाइट गांव बनाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है।

इस नई योजना के आकर्षणों के संबंध में चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार अधिक संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए राज्य में हवाई यात्रा सुविधा में सुधार के सतत प्रयास कर रही है। इसके तहत सरकार कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तार, जिला मण्डी के नागचला में ग्रीन फील्ड हवाई अड्डे के निर्माण तथा प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर नए हेलीपोर्ट निर्माण पर कार्य कर रही है। पहले चरण में 9 हेलीपोर्ट निर्मित किए जा रहे है, जिनमें ज़िला हमीरपुर में जसकोट, जिला कांगड़ा के रक्कड़ व पालमपुर, जिला चम्बा के सुल्तानपुर, जिला कुल्लू के मनाली, जिला लाहौल-स्पिति के जिस्पा, सिसू व रांगरिक तथा जिला किन्नौर के शारबो में हेलीपोर्ट निर्माण शामिल हैं। शेष 7 हेलीपोर्ट का निर्माण दूसरे चरण के तहत किया जाएगा।

बैठक में बहुत कुछ ऐसा हुआ जो नया इतिहास रचने में सहयोगी बनेगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (सूचना प्रौद्योगिकी एवं नवाचार) गोकुल बुटेल, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान, मुख्यमंत्री के ओएसडी गोपाल शर्मा, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भरत खेड़ा, प्रधान सचिव पर्यटन देवेश कुमार, सचिव भाषा, कला एवं संस्कृति राकेश कंवर, निदेशक पर्यटन विभाग अमित कश्यप तथा अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

Thursday, June 8, 2023

दिल्ली-लेह:देश के सबसे लंबे रूट पर बस सेवा शुरु

Thursday 8th June 2023 at 7:32 PM

 30 घंटे में पूरा हुआ करेगा यह मनोहारी सफर 


शिमला: 08 जून, 2023: (कार्तिका सिंह//देवभूमि स्क्रीन डेस्क)::

लम्बे रुट के सफर की बात हो तो बस ध्यान आया करता थे केवल रेल का। अब उस एकाधिकार को सड़क ट्रांसपोर्ट का अभिन्न अंग बस सेवा ने भी चुनौती दी है। अब दिल्ली से लेह तक की बस यात्रा की सेवा यादगारी अनुभूतियां प्रदान किया करेगी। पहाड़ों से हो कर गुज़रते इस मनोहारी सफर के दृश्य आपके मन मंदिर में उत्तर जाया करेंगे। इस सैलानी जैसे सफर की बात जितनी मधुर लगती है उतनी कठिन भी है। इसमें तीन चालक और दो परिचालक सेवा प्रदान किया करेंगे। 

देश के सबसे लंबे और सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित दर्रों से गुजरने वाली हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम की रोमांचकारी दिल्ली-लेह बस सेवा आज से शुरु हो गई है। इसके लिए उत्साह भी देखा गया जो आते दिनों में और भी बढ़ेगा। दिल्ली और लेह दोनों तरफ यात्रियों की संख्या बहुत बड़ी संख्या में हुआ करेगी। 

ये रूट बारालाचा दर्रा (4850 मी.), तांगलंग दर्रा (5328 मी.) व नाकी दर्रा (4769 मी.) से होकर मनोहारी स्थानों सरचू, पांग आदि से गुजरता है, जिसकी कुल लम्बाई 1026 किलोमीटर है तथा कुल किराया 1736 रुपए होगा। इस रूट पर तीन चालक और दो परिचालक सेवाएं देंगे। इस सफर में रोमांच का अहसास कराते बहुत से दृश्य आते हैं। प्रकृति के बेहद नज़दीक ले जाने वाला यह सफर मसन मरीन रक सलसुकिक सी दिव्यता का अहसास भी भर देगा। 
 
बस दोपहर बाद 3.45 बजे दिल्ली से चलेगी और अगले दिन सुबह 10.30 पर केलांग पहुंचेगी। रात्रि ठहराव केलांग में रहेगा। सुबह 5.30 बजे बस केलांग से लेह के लिए रवाना होगी तथा अगले दिन प्रातः 4 बजे बस लेह पहुंचेगी। बस का सफर 30 घंटे में पूरा होगा।

Saturday, May 27, 2023

रविवार को चढ़ेगा नई फसल का रोट

Saturday 27th May 2023 at 10:27 PM

रोट चढ़ाने की मान्यता के पीछे छुपी है गहरी आस्था 


शिमला
: 27 मई 2023: (कार्तिका सिंह//देवभूमि स्क्रीन डेस्क)::
रोट चढ़ाने की मन्नत मानना सदियों पुराना रिवाज है। जो घर परिवार दूर दर्ज नहीं जा पते वे अपने नज़दीक के धर्म स्थल में रॉट चढ़ाते हैं। रॉट को बहुत श्रद्धा भावना और आस्था से बनाया जाता है। बहुत से सिख परिवार भी मंगलवार को शांत रखने के इरादे से रोट बनाया करते थे। हनुमान जी को रोट चढ़ाने में बहुत बड़ी आस्था है। सौंफ से बनाया गया रोट हनुमान जी को बहुत ही श्रद्धा से भेंट किया जाता है। कई कई बार कई कई जगहों पर 101 किलो का किलो का रोट या फिर 121 किलो का रोट चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से हनुमान जी का आशीर्वाद मिलता है और मुश्किलें दूर हटती चली जाती हैं। 

इस बार शोघी से लगते खुशहाला महावीर मंदिर (बड़ा ठाकुरद्वारा) में 28 मई को नई फसल का रोट चढ़ाया जाएगा। इस मकसद के लिए संगत में बहुत सा उत्साह है।  मंदिर समिति के प्रधान नेकराम ठाकुर व महासचिव प्रेम ठाकुर ने यहां जारी संयुक्त बयान में यह जानकारी दी। इस धर्म स्थल पर रोट चढ़ाने की रस्म के समय बहुत दूर दराज से संगत आती है। 

यादगारी आयोजन के इस संबंध में जारी वक्तव्य में मंदिर प्रबंधन की तरफ से पदाधिकारियों ने बताया कि इस बार भी विशेष प्रबंध किए गए हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर में इस दिन यज्ञ के उपरांत विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा। इसके अलावा मंदिर में 30 मई को गंगा दशहरे के अवसर पर विशाल भगवती जागरण एवं भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा। इस अवसर पर मंदिर के लिए हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम की बस सेवा भी उपलब्ध रहेगी तांकि दोर्र दर्ज के स्थानों से आने वाली संगत यहां आसानी से पहुंच सके। 

गौरतलब है कि इन मान्यताओं और परम्पराओं के पीछे मौसम और इलाके के मुताबिक वैज्ञानिक आधार भी होते हैं। धर्मकर्म का कोई भी कार्य या क्षेत्र विज्ञान से अछूता नहीं हैं। यहां भी अगर सौंफ के रोट का यहां अर्थ समझें तो इससे मानव शरीर को शक्ति मिलती है। इसके साथ ही मन और दिमाग भी तंदरुस्त रहते हैं। 

जाखू के बाबा बालक नाथ मंदिर में कल होगा वार्षिक भंडारा

Saturday 27th May 2023 at 10:27 PM

आइसक्रीम,टिक्की,मोमोज, लस्सी, चिप्स, कुरकुरे व गोलगप्पे भी होंगें 


शिमला
: 27 मई 2023: (कार्तिका सिंह//देवभूमि स्क्रीन डेस्क):: 

शिमला के जाखू स्थित बाबा बालक नाथ मंदिर में आस्था और श्रद्धा निरंतर बढ़ती जा रही है। यहाँ पहुँच कर लोगों की मुसीबतों का दौर समाप्त हो जाता है। इसलिए यहाँ की बहुत सी सच्ची कथाएं भी लोगों में बेहद चर्चित हैं। यहाँ आने पर लोगों के कष्ट दूर हो जाते हैं और उनके मन की मुरादें पूरी हो जाती हैं।  इस पावन तीर्थ की मान्यता भी चारो तरफ फैलती ही जा रही है। यहाँ हर वर्ष भंडारा भी लगता है जिसमें लोग बड़ी संखजा में शामिल होते हैं। 

शिमला के जाखू स्थित बाबा बालक नाथ मंदिर में 28 मई को 51वें वार्षिकोत्सव एवं भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। मंदिर समिति के संस्थापक हरजी लाल पुरी, कार्यकारिणी सदस्य नरेंद्र कुमार शर्मा, किशोरी लाल शर्मा, राकेश पुरी, विनोद अग्रवाल, प्रीतम चंद शर्मा, कृष्ण शर्मा, सुमन दत्ता व हरदेश सेठी ने यहां जारी संयुक्त बयान में यह जानकारी दी। 

इस अवसर पर एसजेवीएनएल के सीएमडी नंदलाल मुख्य अतिथि होंगे। इस बार भी भंडारे में बहुत तरह के मिष्ठान और भोजन मिलेंगे जिन्हें लोग बहुत ही श्रद्धा और सम्मान से लेकर आते हैं।  एसजेवीएनएल की निदेशक कार्मिक गीता कपूर व महाप्रबंधक अवधेश प्रसाद भी इस मौके पर मौजूद रहेंगे। वार्षिक भंडारे में राम बाजार के जे.बी.डी. युवा मंडल की ओर से आइसक्रीम, फुटक्रीम, टिक्की, मोमोज, शरबत, चाऊमीन, लस्सी, बेलपुरी, चिप्स, कुरकुरे, कोल्डड्रिंक व गोलगप्पे की व्यवस्था की जा रही है। इनके इलावा भी बहुत से प्रसाद यहां पहुँचने वालों के नसीब में होगा। 

मंदिर का कार्यक्रम घोषित हो चुका है। भंडारा और दुसरे आयोजन समयानुसार चलने का ही प्रयास रहेगा।  इस मंदिर में सुबह 9 बजे ध्वजा रोहण होगा। इसके बाद सुबह 9.30 बजे यज्ञ की आहुति होगी, जिसके बाद सुबह 10 बजे से भंडारा आरंभ होगा। वार्षिक भंडारे में बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों के अलावा बड़ी संख्या में देश-विदेश के सैलानियों के भी पहुंचने की संभावना है। इस पावन तीर्थ पर सिर झुकाने हर आयु और हर वर्ग के लोग आते हैं। 


Thursday, May 11, 2023

केंद्रीय तिब्बती प्रशासन मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात

11th May 11, 2023 at 7:53 PM

तिब्बती अध्यक्ष पेनपा त्सेरिंग ने बताईं तिब्बती समुदाय की समस्याएं 


शिमला: 11 मई 2023: (कार्तिका सिंह//देवभूमि स्क्रीन डेस्क)::
हिमाचल में बहुत से दर्शनीय स्थल भी हैं और बहुत सी अन्य महत्वपूर्ण जगहें भी हैं। इनके साथ ही ज्ञान के बहुत बड़े स्रोत भी हिमाचल प्रदेश में हैं। इन सभी महत्वपूर्ण और खास बातों की चर्चा करते हुए तिब्बती समुदाय का उल्लेख भी  भूला नहीं जा सकता। हिमाचल प्रदेश का चक्कर पहली बार लगा कर आने वाले लोगों से कभी बात करें तो पता चलता है कि लोगों के दिल और दिमाग में अभी भी ताज़ा हैं हिमाचल के वि भिन्न दर्शनीय स्थलों की यादें और हिमाचल में रहने वाले लोगों के अंदाज़। 

तिब्बतीय लोगों की स्मृतियां पूरी तरह से सैलानियों के मानस पटल पर छप जाती हैं। गौरतलब है कि तिब्बती लोगों के कारोबार, उनके पूजा पद्धति के ढंग तरीकों में उनका सैलानियों से विनम्र स्वभाव के साथ मिलना भी विशेष रहता है। उनकी आवभगत का अंदाज़ अविस्मरणीय है। वहां रहते हुए तिब्बती लोगों को लम्बा समय हो चूका है। इस दौरान उनके सामने कोई न कोई समस्या भी आती रहती है। 

इन समस्यायों को सुलझाने के लिए तिब्बतीय लोग अक्सर स्थानीय प्रशासन से भी मुलाकात करते रहते हैं। इसी सिलसिले में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के अध्यक्ष पेनपा त्सेरिंग ने आज यहां मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात की और हिमाचल में रहने वाले तिब्बती समुदाय से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। मुख्यमंत्री भी उनकी समस्याएं हल करवाने के लिए उचित कदम उठाएंगे ऐसी आशा सभी को है। 

Monday, May 8, 2023

मणिपुर हिंसा-संकट पर हिमाचल के मुख्यमंत्री ने की फौरी पहल

 Monday 8th May 2023 at 2:57 PM

मणिपुर के हिंसाग्रस्त क्षेत्र से पांच हिमाचली छात्र सुरक्षित निकाले


मणिपुर दूरभाष पर संपर्क कर छात्रों ने मुख्यमंत्री से की थी सहायता की अपील

शिमला: 08 मई 2023: (कार्तिका सिंह शैली//देवभूमि स्क्रीन)::

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू एक बार फिर संकटमोचक के रूप में उभर कर सामने आए हैं। मणिपुर में जारी तनाव के बीच वहां शिक्षा ग्रहण करने गए हिमाचल के कुछ बच्चों ने मुख्यमंत्री को फोन कर उनकी वहां से सुरक्षित वापसी (रेस्क्यू) की गुहार लगाई। इसके तुरंत पश्चात एक विशेष अभियान के तहत इन पांच बच्चों को इम्फाल के पूर्वी क्षेत्र से रेस्क्यू किया गया, जिनमें एक लड़की भी शामिल है।

सुरक्षित निकाले गए तीन बच्चे राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) के विद्यार्थी, जबकि दो नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी मणिपुर के विद्यार्थी हैं। इनमें सिमरन, सुजल कौंडल, अश्वनी कुमार मंडी जिला, नवांग छेरिंग कुल्लू और केशव सिंह हमीरपुर जिला से संबंध रखते हैं।

मुख्यमंत्री व्यक्तिगत तौर पर समय-समय पर अधिकारियों से बचाव अभियान के बारे में जानकारी प्राप्त करते रहे। इन बच्चों को मणिपुर से बाहर निकालने में सबसे बड़ी बाधा इम्फाल से हवाई सेवाओं में सीट की अनुपलब्धता थी। मुख्यमंत्री के आदेश पर अधिकारियों ने इंडिगो से विशेष विमान चलाने का अनुरोध किया और आज सुबह 8.20 बजे उन्हें लेकर इम्फाल से इस विमान ने उड़ान भरी।

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देश पर अधिकारियों ने स्थानीय पुलिस और सेना से संपर्क कर बच्चों को हिंसाग्रस्त क्षेत्र से सुरक्षित एयरपोर्ट तक पहुंचाने के लिए मदद मांगी और सेना ने सुबह सवा पांच बजे बच्चों को इम्फाल एयरपोर्ट पर पहुंचाया। वहां से यह बच्चे आज सुबह कोलकाता एयरपोर्ट पर पहुंच गए।

इन सभी बच्चों ने संकट की घड़ी में मदद करने के लिए राज्य सरकार और विशेष तौर पर मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का धन्यवाद किया है। मुख्यमंत्री ने न सिर्फ बच्चों की एक फोन कॉल पर यह अभियान शुरू किया, बल्कि उनको सुरक्षित निकालने के लिए व्यक्तिगत तौर पर लगभग 60 हजार रुपये की तत्काल वित्तीय सहायता भी प्रदान की।

ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि बच्चों ने हिंसाग्रस्त मणिपुर से उन्हें बाहर निकलने में मदद मांगी थी। उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने मणिपुर से अन्य हिमाचलियों को भी सुरक्षित वापस लाने के लिए दूरभाष नंबर जारी किए हैं। इच्छुक व्यक्ति सहायता के लिए टेलीफोन नंबर 89883-41921, 0177-2929688, 0177-2629439 पर संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि राज्य सरकार उन्हें हर संभव मदद प्रदान करेगी।

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