Thursday, January 20, 2022

अपना कांगड़ा ऐप और अपना कांगड़ा हैम्पर का शुभारम्भ

20th January 2022 at 7:01 PM

अब विभिन्न पर्यटन स्थलों का पता लगेगा आसानी से


शिमला
: 20 जनवरी 2022: (कार्तिका सिंह//देवभूमि स्क्रीन)::

आधुनिक तकनीक और आधुनिक दौर में हिमाचल सरकार भी तेज़ी से एप्प और हैम्पर को न सिर्फ अपना रही है बल्कि उत्साहित भी कर रही है। मुख्यमंत्री ने अपना कांगड़ा ऐप और अपना कांगड़ा हैम्पर का शुभारम्भ किया। 

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज धर्मशाला से अपना कांगड़ा ऐप और अपना कांगड़ा हैम्पर (स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार उत्पाद) का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि कांगड़ा हैम्पर में कांगड़ा जिले के विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों का संग्रह होगा, जबकि अपना कांगड़ा ऐप के माध्यम से पर्यटकों को कांगड़ा जिले के विभिन्न पर्यटन स्थलों का पता लगाने में सहायता मिलेगी और उनके लिए यह एक अनूठा अनुभव होगा।

मुख्यमंत्री ने धर्मशाला से कांगड़ा जिले के ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र के लुथान में राधाकृष्ण गौ अभ्यारण्य का भी वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया।

धर्मशाला के लोगों को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए जय राम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार का पहला निर्णय 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को वृद्धावस्था पेंशन प्रदान करने पर लक्षित था, जबकि दूसरा निर्णय बेसहारा पशुओं के लिए राज्य में विभिन्न स्थानों पर गौ अभ्यारण्यों और गौ सदनों के निर्माण का था। प्रदेश सरकार ने शराब की बोतल पर एक रुपये का उपकर लगाने का भी फैसला किया है और इस धनराशि का उपयोग गौ अभ्यारण्यों एवं गौ सदनों के प्रभावी प्रबंधन एवं संचालन पर किया जा रहा है।

जय राम ठाकुर ने कहा कि उन्होंने हाल ही में शिमला जिले के सुन्नी में 500 गायों को रखने की क्षमता वाला एक गौ अभ्यारण्य समर्पित किया। लुथान में गौ अभ्यारण्य में एक हजार गायों को रखने की क्षमता होगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गौ सदनों को प्रति गाय 500 रुपये प्रति माह प्रदान कर रही है ताकि उनके लिए चारे की उचित व्यवस्था की जा सके। उन्होंने राज्य के लोगों से यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया कि मवेशियों को बेसहारा नही छोड़ें और यदि कोई मवेशियों को सड़क पर घूमते हुए देखता है, तो उसे गौ अभ्यारण्यों और गौ सदनों में भेजा जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस गौ अभ्यारण्य की स्थापना 3.96 करोड़ रुपये की लागत से की गई है। उन्होंने कहा कि राज्य के विभिन्न गौ अभ्यारण्यों में करीब 19 हजार मवेशी हैं।

ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर के कुशल नेतृत्व में वर्तमान राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि राज्य की सभी सड़कें और गलियां बेसहारा पशुओं से मुक्त हों और उन्हें उचित आश्रय मिले। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने एक सप्ताह के भीतर राज्य के लोगों को दो गौ अभ्यारण्य समर्पित किए हैं जो बेसहारा पशुओं को आश्रय देने के प्रति उनकी चिंता को दर्शाता है।

राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश चंद धवाला ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में गौ अभ्यारण्य का उद्घाटन करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।

उपायुक्त कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने अपना कांगड़ा ऐप पर प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि जिले में तीन कांगड़ा हाट बन रहे हैं। अपना कांगड़ा का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना और पर्यटन क्षेत्र के माध्यम से युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि यह ऐप होटल, होमस्टे, परिवहन, पेट्रोल पंप, आपातकालीन सेवाओं जैसी सेवाएं भी प्रदान करेगा।

उन्होंने कहा कि अपना कांगड़ा ऐप जहां पर्यटकों को एक अनूठा अनुभव प्रदान करेगी, वहीं ग्रामीण आबादी को सशक्त भी बनाएगी। यह कांगड़ा जिले के स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को बेचने के लिए ई-मार्केटिंग प्लेटफार्म प्रदान करेगी।

विधायक विशाल नेहरिया, अर्जुन सिंह और अरुण कूक्का, वूल्फेड के अध्यक्ष त्रिलोक कपूर इस मौके पर उपस्थित थे।


Friday, January 7, 2022

हिमाचल सरकार रेशम कीट पालन को देगी बढ़ावा--बिक्रम सिंह

7th January 2022 at 4:36 PM

रेशमकीट पालन से जुड़े किसानों के हितों की रक्षा होगी  


शिमला
:07 जनवरी 2022: (देवभूमि स्क्रीन ब्यूरो):: 

रेशमकीट पालन बहुत ही अच्छी कमाई देने वाला एक ऐसा घरेलू उद्योग है जिसे अपना कर अपनी आर्थिकता बदली जा सकती है। कच्चा रेशम बनाने के लिए रेशम के कीटों का पालन सेरीकल्चर या रेशम कीट पालन कहलाता है। यह निरंतर लोकप्रिय भी होता जा रहा है। 

रेशम उत्पादन का आशय बड़ी मात्रा में रेशम प्राप्त करने के लिए रेशम उत्पादक जीवों का पालन करना होता है। इससे न केवल आप खुद कमा सकते हैं बल्कि बहुत से अन्य लोगों को भी रोज़गार दे सकते हैं। अब तो इसने पूरी तरह से एक स्वतंत्र उद्योग का रूप ले लिया है। यह कृषि पर आधारित एक कुटीर उद्योग है जिससे ग्रामीण क्षेत्र में ही कम लागत में  शीघ्र उत्पादन प्रारम्भ किया जा सकता है। मुनाफा देख कर आप हैरान रह सकते हैं। हिमाचल सरकार इसे तेज़ी से बढ़ावा देने जा रही है। उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने इसी आशय का स्पष्ट एलान भी किया है। 

दिलचस्प बात है कि कृषि कार्य एवं अन्य घरेलू कार्यों के साथ-साथ इस उद्योग को अपनाया जा सकता है। श्रम जनित होने के कारण इस उद्योग में विभिन्न स्तरों पर रोजगार सृजन की भरपूर संभावनायें निहित है, विशेषकर महिलाओं के खाली समय के सदुप्रयोग के साथ-साथ उन्हें स्वावलम्बी बनाने में सहायक है।

इस उद्योग को सुखोनमुख क्षेत्रों में भी सफलतापूर्व स्थापित करते हुए नियमत आय प्राप्त की जा सकती है। इसके साथ ही विकास की रफ्तार तेज़ करने के साथ साथ यह पर्यावरण मित्र भी बना रहता है। 

उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने आज यहां उद्योग विभाग के रेशम अनुभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने रेशमकीट पालन क्षेत्र से जुड़े किसानों के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। 

उन्होंने कहा कि प्रदेश के विभिन्न मण्डलों के अन्तर्गत रेशमकीट बुनाई बुनकरों को लाभान्वित करने के लिए रेशमकीट प्रदर्शनी एवं प्रशिक्षण केन्द्र, रेशमकीट सामुदायिक केन्द्र, कोकून विपणन केन्द्र और सिल्क वाॅर्म सीड उत्पादन केन्द्र आदि स्थापित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मण्डी जिला के बालीचैकी में 494 लाख रुपये की लागत से सेरी एंटरप्रिन्योरशिप डवेल्पमेंट एंड इनोवेशन सेंटर (एसईडीआईसी) भवन का निर्माण किया जा रहा है। इस भवन के निर्मित होने से प्रदेश के और अधिक रेशम बुनकरों को प्रशिक्षित करने की सुविधा प्राप्त होगी और रेशम से जुड़े उत्पाद निर्मित किए जाएंगे। मण्डी जिला के थुनाग में 318 लाख रुपये की लागत से रेशम बीज उत्पादन केन्द्र के भवन का निर्माण किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के स्टेट कैटेलेटिक डवेल्पमेंट प्रोग्राम के अन्तर्गत वर्ष 2020-21 में लगभग 271 लाख रुपये व्यय कर 12 हजार से अधिक किसानों को लाभान्वित किया गया है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में 79 रेशमकीट पालन केन्द्र हैं। प्रदेश के 1287.51 बीघा में शहतूत की खेती की जाती है। प्रदेश में वर्ष 2021-22 के दौरान अब तक 2 लाख 23 हजार शहतूत के पौधे वितरित किए गए हैं और 238 मीट्रिक टन कोकून का उत्पादन किया गया।

बिक्रम सिंह ने कहा कि प्रदेश में रेशम कीट पालन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यशालाएं का आयोजित की जाएंगी, जिससे रेशमकीट पालन किसानों को केन्द्र और राज्य सरकार के रेशम उद्योग विकास के लिए आरम्भ की गई विभिन्न योजनाओं की जानकारी उपलब्ध होगी।

बैठक में निदेशक उद्योग राकेश प्रजापति, उप निदेशक रेशम अनुभाग बलदेव चैहान और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।