एक शिक्षक को राष्ट्रीय पुरस्कार से किया सम्मानित
शिमला: 5 सितम्बर 2024: (कार्तिका सिंह//देवभूमि स्क्रीन डेस्क)::
शिक्षक दिवस पर इस बार भी देश भर में विशेष आयोजन हुए। हिमाचल प्रदेश में भी इसी आश्य के कार्यक्रम अलग अलग स्थानों पर हुए। राज्य स्तरीय आयोजन शिमला में हुआ जिसमें शिक्षकों का सम्मान विशेष आकर्षण था। इस मौके पर राष्ट्र निर्माण में अध्यापकों, अभिभावकों व विद्यार्थियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर भी विस्तार से प्रकाश डाला गया।
शिक्षक दिवस के अवसर पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज राजभवन में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में 27 अध्यापकों को राज्य पुरस्कार और एक अध्यापक को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। यह पुरस्कार वर्ष 2023 के लिए शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किए गए। इस अवसर पर लेडी गवर्नर जानकी शुक्ला ने सभी पुरस्कृत अध्यापकों को पौधें भी भेंट किए।
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को देशभर में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर राज्यपाल ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि डॉ. राधाकृष्णन एक कुशल प्रशासक, कर्मठ राजनेता, महान शिक्षक और सत्यनिष्ठ व्यक्तित्व के धनी थे।
इस अवसर पर शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित अध्यापकों को बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में अध्यापकों, अभिभावकों और विद्यार्थियों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। अध्यापकों को समाज के सभी वर्गों के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है जिससे शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया और अधिक प्रभावी होगी। उन्होंने कहा कि एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए प्रतिबद्धता से कार्य करने की आवश्यकता है और युवाओं की सक्रिय भागीदारी से इसे साकार किया जा सकता है।
राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (एनईपी) में भी राष्ट्र निर्माता के रूप में अध्यापकों के महत्त्व के बारे में बताया गया है। इस नीति में शिक्षकों के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ाने के लिए अनेक प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल ने सदैव ही शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सुझाए गए सुधारों के अनुरूप हिमाचल इस दिशा में बेहतर कार्य करेगा।
श्री शुक्ल ने कहा कि भारत सरकार ने ‘पीएमश्री’ योजना को भी स्वीकृति प्रदान की है। इस योजना के अंतर्गत पहले से स्थापित विद्यालयों को सुदृढ़ीकरण कर ‘पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इण्डिया’ के रूप में स्थापित करने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि यह विद्यालय एनईपी का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित कर, अन्य स्कूलों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण पेश करेंगे। उन्होंने कहा कि इस योजना के अंतर्गत प्रदेश के 180 विद्यालय विकसित किए जाएंगे। भारत सरकार ने 6 राज्यों में से हिमाचल को चुनकर स्टार परियोजना के अंतर्गत लाया है। इस योजना के अंतर्गत हिमाचल को 3 राज्यों सहित लाईट हाऊस के रूप में चुना गया है जोकि अन्य राज्यों के लिए मार्गदर्शक बनेंगे।
उन्होंने एक भारत-श्रेष्ठ भारत पहल पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि इस योजना के अंतर्गत विद्यार्थियों और अध्यापकों को विभिन्न राज्यों में शैक्षणिक भ्रमण करवाया जाता है और प्रदेश सरकार ने पहली बार प्रदेश के शिक्षकों का ज्ञानवर्धन करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन भी करवाया है।
नशे के प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान में बहुत से युवा नशे के चुंगल में फंसे हुए हैं जो देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि नशे के विरुद्ध एक जन आन्दोलन शुरू करने की आवश्यकता है जिसके माध्यम से स्कूलों, महाविद्यालयों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थियों को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाएगा। अध्यापकों को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में विद्यार्थियों को जागरूक करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए ताकि युवा समाज के समग्र विकास में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकें। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही जिला स्तर पर जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग और पंचायत प्रतिनिधियों के सहयोग से नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से सशक्त जागरूकता अभियान शुरू करेगा।
इस अवसर पर राज्यपाल ने एक स्मारिका का भी विमोचन भी किया।
शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने राज्यपाल और लेडी गर्वनर का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार शिक्षा क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करने के उद्देश्य से अनेक महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षक पुरस्कारों के लिए पारदर्शी नीति को अपनाया गया है जिसमें साक्षात्कार के साथ-साथ मूल्यांकन को भी शामिल किया गया ताकि योग्य शिक्षक को ही पुरस्कृत किया जाए। उन्होंने कहा कि युवाओं की शक्ति को सही दिशा देने की आवश्यकता है और शिक्षक इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार ने शिक्षा क्षेत्र को विशेष अहमियत दी थी जिसे सभी सरकारों ने अपनाया। उन्होंने कहा कि सरकारी विद्यालयों में बच्चों का कम दाखिला चिंता का विषय है।
मुख्य संसदीय सचिव आशीष बुटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने शिक्षा क्षेत्र में सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। बच्चों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल स्थापित कर रही है।
इससे पहले शिक्षा मंत्री ने राज्यपाल और मुख्य संसदीय सचिव ने लेडी गवर्नर को सम्मानित किया।
शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने कहा कि शिक्षकों ने शिक्षा के क्षेत्र में अनुुकरणीय कार्य किए हैं।
प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक आशीष कोहली ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पोर्टमोर और राजकीय कन्या महाविद्यालय की छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।
नगर निगम शिमला के महापौर सुरेंद्र चौहान, उप-महापौर उमा कौशल, राज्यपाल के सचिव सी.पी.वर्मा, उच्च शिक्षा निदेशक अमरजीत शर्मा, समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक राजेश शर्मा और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित रहे।
कुल मिलाकर यह एक यादगारी आयोजन रहा। जिसकी संगीतमय सुरेन देर देती रहेंगी। इस बार के रंगारंग सचमुच यादगारी था।