25th November 2021 at 3:03 PM
महिला ट्रैफिक कर्मी की जिंदगी से है प्रेरित फिल्म ईवा
*गेयटी थिएटर में कल से शुरू होगा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल
*भारत सहित 16 देशों की 56 फिल्मों की होगी स्क्रीनिंग
शिमला: 25 नवंबर 2021: (देवभूमि स्क्रीन ब्यूरो)::
सातवें अंतराष्ट्रीय फिल्म फेटिवल ऑफ़ शिमला ने हिमाचल को फिल्म उद्योग के तौर पर और विकसित करने में काफी योगदान की भूमिका निभानी है। इसके होने के एलान से ही चहल पहल शुरू हो गई थी। जानीमानी फिल्म हस्तियां ज़हन आ कर इस लाईन के लोगों का उत्साह बढ़ाएंगी। अच्छा हो आप भी इसकी सफलता के गवाह खुद ही बनें।
राजधानी शिमला में शुक्रवार से तीन दिवसीय इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का आगाज होने जा रहा है। यहां भारत सहित 16 देशों की चुनिंदा 56 फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाएगी। साथ ही जाने माने 30 फ़िल्म निर्देशक भी शिमला में आयोजित किए जा रहे इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में भाग लेंगे और अपनी फिल्मों के संदर्भ में सीधे दर्शकों से रूबरू होंगे।
फ़िल्म फेस्टिवल का शुभारंभ मलयालम शार्ट फिल्म "ईवा" से होगा। ईवा एक महिला ट्रैफिक पुलिस कर्मी के जीवनपर आधारित फ़िल्म है, जिसमें एक कामकाजी महिला के जीवन संघर्ष को।दिखाया गया है। फ़िल्म में नौकरीपेशा महिला के सहकर्मियों की मानसिकता दर्शायी गई है। इसमें बताया गया है कि एक लड़की पढ़-लिखकर नौकरी हासिल तो कर लेती है लेकिन अगर उसे साथ काम करने वालों का सहयोग नही मिल पाता है तो उसके लिए काफी मुश्किल हो जाती है।
इस साल होने जा रहे सातवें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की अपनी ही अलग ही पहचान बन चुकी है। इसकी खास बात यह है कि जहां इस फिल्म फेस्टिवल में देश व विदेश से नामी दिग्गज निर्देशकों की चुनिंदा व पुरस्कृत फिल्मों की स्क्रीनिंग की जाती है तो उसी के साथ क्षेत्रीय सिनेमा को भी बराबर प्राथमिकता दी जाती है। क्षेत्रीय सिनेमा की फिल्मों ने न केवल राष्ट्रीय परिदृश्य पर अपनी जगह बनाई है बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत भी हुई हैं।
इस बार इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ शिमला में अहमदाबाद की निदेशक प्रमाती आनंद की 'झटआई बसंत' की स्पेशल स्क्रीनिंग की जाएगी। हिमाचली एवं हिंदी भाषा में बनी फिल्म 'झट आई बसंत' की शूटिंग धर्मशाला के आसपास क़े गांव में हुई है। यह फिल्म दो ऐसी लड़कियों की कहानी है जो अलग- अलग पृष्ठभूमि से आती है लेकिन उनमें पितृसत्ता का प्रभाव और उससे संघर्ष उन्हें एक ही कटघरे में खड़ा करता है।
यह फिल्म महिलाओं पर पितृसत्ता के प्रभाव और उसकी स्वीकृति को भी दर्शाती है। जिसे पुरानी पीढ़ी की स्त्रियां सहर्ष स्वीकार करके अपनी अगली पीढ़ी को हस्तांतरित करना अपना कर्तव्य मानती है। आज की जागृत और पढ़ी-लिखी स्त्रियों से जब इसे कबूल करने के लिए कहा जाता है तो उस पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी के बीच संघर्ष एवं विवाद के स्वर तीखे हो जाते हैं। यह फिल्म महिलाओं को अवश्य देखनी चाहिए जो अपनी बेटियों का उज्जवल भविष्य देखना चाहती है । लेकिन सामाजिक एवं आंतरिक द्वंद उन्हें यह करने से रोकते हैं यह फिल्म कई अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में कई पुरस्कारों से सम्मानित की जा चुकी है
इसके अलावा फेस्टिवल में शिमला में तेंदुए के आतंक पर बनी फिल्म 'शूट देट लेपर्ड' प्रदर्शित की जाएगी। मुंबई के निर्देशक 'सोहेल ' और ' शबनम जाफरी ' की 52 मिनट की यह डॉक्यूमेंट्री फिल्म शिमला और उत्तराखंड में तेंदुए और मानव के संघर्ष को बयां करती है, यह फिल्म दो ऐसे मुख्य पात्रों की है जिनमें से एक अपनी बंदूक से तेंदुए को शूट करता है तो दूसरा कैमरे से।
फेस्टिवल में कंगना रनौत स्टारर फिल्म थलायवी के निर्देशक विजय सेलिब्रिटी 28 नवम्बर को गेस्ट के तौर पर आएंगे और दर्शकों से रुबरु होंगे । इंटरनेशन फिल्म फेस्टिवल ऑफ शिमला का आयोजन हिमालयन वेलोसिटी और भाषा , कला और संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वाधान किया जा रहा है।
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