Saturday 27th May 2023 at 10:27 PM
रोट चढ़ाने की मान्यता के पीछे छुपी है गहरी आस्था
रोट चढ़ाने की मन्नत मानना सदियों पुराना रिवाज है। जो घर परिवार दूर दर्ज नहीं जा पते वे अपने नज़दीक के धर्म स्थल में रॉट चढ़ाते हैं। रॉट को बहुत श्रद्धा भावना और आस्था से बनाया जाता है। बहुत से सिख परिवार भी मंगलवार को शांत रखने के इरादे से रोट बनाया करते थे। हनुमान जी को रोट चढ़ाने में बहुत बड़ी आस्था है। सौंफ से बनाया गया रोट हनुमान जी को बहुत ही श्रद्धा से भेंट किया जाता है। कई कई बार कई कई जगहों पर 101 किलो का किलो का रोट या फिर 121 किलो का रोट चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से हनुमान जी का आशीर्वाद मिलता है और मुश्किलें दूर हटती चली जाती हैं।
इस बार शोघी से लगते खुशहाला महावीर मंदिर (बड़ा ठाकुरद्वारा) में 28 मई को नई फसल का रोट चढ़ाया जाएगा। इस मकसद के लिए संगत में बहुत सा उत्साह है। मंदिर समिति के प्रधान नेकराम ठाकुर व महासचिव प्रेम ठाकुर ने यहां जारी संयुक्त बयान में यह जानकारी दी। इस धर्म स्थल पर रोट चढ़ाने की रस्म के समय बहुत दूर दराज से संगत आती है।
यादगारी आयोजन के इस संबंध में जारी वक्तव्य में मंदिर प्रबंधन की तरफ से पदाधिकारियों ने बताया कि इस बार भी विशेष प्रबंध किए गए हैं। उन्होंने बताया कि मंदिर में इस दिन यज्ञ के उपरांत विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा। इसके अलावा मंदिर में 30 मई को गंगा दशहरे के अवसर पर विशाल भगवती जागरण एवं भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा। इस अवसर पर मंदिर के लिए हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम की बस सेवा भी उपलब्ध रहेगी तांकि दोर्र दर्ज के स्थानों से आने वाली संगत यहां आसानी से पहुंच सके।
गौरतलब है कि इन मान्यताओं और परम्पराओं के पीछे मौसम और इलाके के मुताबिक वैज्ञानिक आधार भी होते हैं। धर्मकर्म का कोई भी कार्य या क्षेत्र विज्ञान से अछूता नहीं हैं। यहां भी अगर सौंफ के रोट का यहां अर्थ समझें तो इससे मानव शरीर को शक्ति मिलती है। इसके साथ ही मन और दिमाग भी तंदरुस्त रहते हैं।
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