Friday, April 23, 2021

कोरोना काल में लोगों ने अपनाई आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति

Posted: 23 Apr 2021 06:02 AM PDT

 लाखों ने करवाया आयुर्वेदिक उपचार 


शिमला
//हमीरपुर: 23 अप्रैल 2021: (देवभूमि स्क्रीन)::

कोरोना का कहर बढ़ रहा है लेकिन इसके साथ ही बढ़ रही हैं आयुर्वेद से उम्मीदें।  अश्क की किरण एक बार फिर आयुर्वेद का रूप ले कर नज़र आ रही है। लोग तेज़ी से आयुर्वेद की तरफ खींचे चले आ रहे हैं। आयुर्वेद का जादू एक बार फिर सिर चढ़ कर बोलने लगा है। कोरोना काल में राहत की राह दिखाई है आयुर्वेद ने। विश्व की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धतियों में से एक आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को प्राचीन समय से ही देश व प्रदेश में महत्व दिया जाता रहा है। जिसके सार्थक परिणाम लोगों को प्राचीन समय से ही मिलते रहे हैं। मौजूदा समय में वैश्विक कोरोना महामारी के इस दौर में आयुर्वेद ने एक बार फिर स्वास्थ्य उपचार में अपनी भूमिका को साबित किया है, जिससे आयुर्वेद का महत्व और बढ़ गया है। कोरोना संक्रमण से निपटने में आयुर्वेदिक पद्धति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रदेश में आयुर्वेद को लोकप्रिय बनाने का श्रेय मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी के नेतृत्व वाली हिमाचल सरकार को जाता है। राज्य सरकार द्वारा आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को प्रदेश में सुदृढ़ करने की दिशा में अनेक पग उठाए गए हैं। प्रदेश के सामान्य एवं दुर्गम क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने में आयुर्वेदिक विभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस दौर में आयुर्वेद का काढ़ा बहुत लोकप्रिय।  वितरण भी ज़ोरों पर है। 

काढ़े के डेढ़ लाख पैकेट किए वितरित

हिमाचल में काढ़े  सप्लाई बड़े पैमाने पर हो रही है। हिमाचल में वर्तमान में 1252 आयुर्वेदिक स्वास्थ्य संस्थान प्रदेशवासियों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनमें 1185 आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केन्द्र, 34 आयुर्वेदिक अस्पताल, 14 होम्योपैथी स्वास्थ्य केन्द्र, तीन यूनानी स्वास्थ्य केन्द्र, चार आमची स्वास्थ्य केन्द्र और 12 अन्य संस्थान हैं। प्रदेश में आयुर्वेदिक पद्धति की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वर्ष 2019-20 में कुल 42 लाख 7 हजार 504 रोगियों में से 41 लाख 9,559 बहिरंग रोगियों और 97,945 अंतरंग रोगियों ने अपना उपचार आयुर्वेद पद्धति से करवाया है। कोरोना महामारी के दृष्टिगत आयुर्वेद विभाग द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले मधुयष्टियादि कषाय (काढ़ा) का भी वितरण किया जा रहा है। यह काढ़ा कोरोना योद्धाओं सहित वरिष्ठ नागरिकों को निःशुल्क प्रदान किया जा रहा है। अब तक इस काढ़े के लगभग डेढ़ लाख पैकेट वितरित किए गए हैं और भविष्य में 7 लाख से अधिक पैकेट बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अभी यह लक्ष्य और बढ़ेगा। 

प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर हर्बल गार्डन स्थापित

हिमाचल सरकार द्वारा प्रदेश में आयुर्वेद पद्धति को बढ़ावा देने के लिए मण्डी जिला के जोगिन्द्रनगर, हमीरपुर जिला के नेरी, शिमला जिला के रोहडू़ और बिलासपुर जिला के जंगल झलेड़ा में हर्बल गार्डन स्थापित किए गए हैं। इन हर्बल गार्डनों में विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधे उगाए जा रहे है जिनका उपयोग विभिन्न प्रकार की औषधियों को तैयार करने में किया जाता हैं। आयुर्वेद विभाग द्वारा प्रदेश में अनेक कल्याणकारी योजनाएं क्रियान्वित की जा रही है। औषधीय पौधों की खेती योजना के अन्तर्गत आयुर्वेद विभाग द्वारा औषधीय पौधों की खेती के लिए विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों में किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।

पंचायत स्तर पर योग गतिविधियों से जोड़े जाएंगे आमजन

राष्ट्रीय आयुष मिशन के अन्तर्गत विभाग द्वारा जिला शिमला के ठियोग, जिला सोलन के कसौली, जिला मण्डी के करसोग, जिला चम्बा के तीसा, जिला हमीरपुर के भोरंज और जिला ऊना के बंगाणा में अनिमिया की रोकथाम के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। आयुर्वेद विभाग द्वारा प्रदेश के आयुर्वेदिक अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य कार्डों के माध्यम से चिकित्सा बीमा का लाभ प्रदान किया जा रहा है। भारत सरकार की आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा आयुर्वेद विभाग के केन्द्रों को स्वास्थ्य कल्याण केन्द्रों में उन्नयन करने की मंजूरी दी गई है, जिसके तहत गर्भावस्था और शिशु जन्म में देखभाल, नवजात और शिशु स्वास्थ्य देखभाल, बाल्यावस्था और किशोर स्वास्थ्य देखभाल आदि का प्रबंधन किया जाएगा। इस योजना के तहत स्वास्थ्य कल्याण केन्द्रों में योग प्रशिक्षक की सेवाएं भी ली जाएंगी, जिसका उद्देश्य पंचायत स्तर पर आम जनता को योग गतिविधियों से जोड़ कर उन्हें योग से लाभान्वित करना है।

400 आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र होंगे अपग्रेड

वर्ष 2019-20 में आयुर्वेद विभाग को भारत सरकार से 84 स्वास्थ्य कल्याण केन्द्रों और वर्ष 2020-21 में 56 स्वास्थ्य कल्याण केन्द्रां की स्थापना की अनुमति प्राप्त हुई है। विभाग द्वारा वर्ष 2023-24 तक प्रदेश में 400 आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केन्द्रों को स्वास्थ्य कल्याण केन्द्रांं में स्तरोन्नत करने का लक्ष्य रखा गया है। इन स्वास्थ्य कल्याण केन्द्रांं के लिए केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय आयुष मिशन के अन्तर्गत धनराशि उपलब्ध करवा दी गई है। योग और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद का अभिन्न अंग है। वर्ष 2014 से प्रत्येक वर्ष 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस भी विभाग द्वारा प्रदेश स्तर से लेकर उपमण्डल स्तर तक मनाया जाता है, जिससे प्रदेश की जनता लाभान्वित हो रही है। आयुर्वेद विभाग द्वारा चयनित 471 स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रत्येक शुक्रवार को प्रातः 9.30 से 11.30 के मध्य साप्ताहिक योग दिवस शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत 25,872 लाभार्थी लाभान्वित हो चुके हैं।

स्कूलों में शुरू किया अडॉप्शन कार्यक्रम

स्कूल अडॉप्शन कार्यक्रम भी विभाग द्वारा शुरु किया गया है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत 1,712 विद्यालयों को अपनाया गया है। इन विद्यालयों में विभाग विद्यार्थियों को व्यक्तिगत स्वच्छता, दैनिक जीवनशैली, भोजन के पोषण, सामान्य बीमारियों और आयुष के माध्यम से नशीली दवाओं के दुरुपयोग सम्बन्धी जागरूकता प्रदान कर रहा है।प्रदेश में आयोजित इन्वेस्टर मीट के अन्तर्गत 45 समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किए गए हैं। इन समझौता ज्ञापनों के माध्यम से प्रदेश में 1269.25 करोड़ के निवेश संभावित है, जिससे प्रदेश के 5421 लोगों को रोजगार मिलेगा। प्रदेश में राष्ट्रीय आयुष मिशन के अन्तर्गत भारत सरकार मौजूदा आयुष संस्थानों के सुदृढ़ीकरण एवं उन्नयन के लिए अनुदान प्रदान करने के साथ-साथ आयुष संस्थानों के माध्यम से रोगियों को प्रदान की जाने वाली दवाईयों की खरीद के लिए राशि उपलब्ध करवाई जा रही है। अब तक आयुष मंत्रालय द्वारा विभाग को 57 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करवाई गई है।