Friday, July 26, 2013

श्री अकाल तख्त साहिब के सामने नतमस्तक सरना बन्धु

Fri, Jul 26, 2013 at 8:51 PM
दायर केस को वापस लें सरना बंधु-जत्थेदार श्री अकाल तख्त साहिब 
कहा-अपनी भूलों की क्षमा याचना के लिए गुरुद्वारा रकाबगंज में करवाए श्री अखंड पाठ 
यथा शक्ति मुताबिक लंगर लगाने का भी आदेश 
श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशों का इन-बिन करेंगे पालन-सरना बंधु
अमृतसर (गजिंदर सिंह किंग) नवंबर 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों की यादगार के खिलाफ हाईकोर्ट में पटिशन दायर करने के बाद श्री अकाल तख्त साहिब पर तलब किए गए सरना बंधुओं को श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने श्री अकाल तख्त साहिब से आदेश दिया है, कि वह उक्त केस को तुरंत वापस लें। इसके अलावा सरना बंधुओं को यह भी आदेश दिया गया है कि वे क्षमा याचना के लिए गुरुद्वारा रकाबगंज में श्री अखंड पाठ के साथ-साथ यथा शक्ति मुताबिक लंर लगाए। उधर, इस मौके पर सरना बंधुओं ने कहा, कि हम श्री अकाल तख्त साहिब के फैसले को मंजूर करते हैं। 
         नवंबर 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों की यादगार को गुरुद्वारा रकाब गंज में बनाए जाने के विरोध में हाईकोर्ट में याचिका दायर करने पर श्री अकाल तख्त साहिब पर तलब किए गए परमजीत सिंह सरना अपने भाई के साथ आज पांच सिंह साहिबानों के समक्ष पेश हुए। इस दौरान उन्होंने पांच सिंह साहिबानों को अपना लिखित स्पष्टीकरण पेश किया। पांच सिंह साहिबानों ने विचार करने के बाद परमजीत सिंह सरना और उनके भाई मंजीत सिंह सरना पर अपना फैसला ले लिया। पांच सिंह साहिबानों के इस फैसले को श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने श्री अकाल तख्त साहिब से सुनाया। जिसमें आदेश दिया गया कि सरना बंधु तुरंत कोर्ट में दायर किए गए केस को वापस लें। इसके साथ वे दोनों सिख दंगों के पीड़ित परिवारों के साथ गुरुद्वारा रकाबगंज में श्री अखंड पाठ रखवाएं और यथा शक्ति मुताबिक लंगर भी लगाएं और अपनी भूलों की क्षमा याचना करें।
      इससे पूर्व सिंह साहिबानों से मिलने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए परमजीत सिंह सरना और हरविंदर सिंह सरना ने स्पष्ट किया, कि वे श्री अकाल तख्त साहिब को समर्पित हैं और श्री अकाल तख्त साहिब के प्रत्येक आदेश की इन-बिन पालना करेंगे। उन्होंने कहा, कि सिंह साहिबानों ने उनसे यही वादा लिखित में भी लिया है। परमजीत सिंह सरना ने यहां फिर स्पष्ट किया, कि वह सिख विरोधी दंगों में मारे गए लोगों की यादगार के खिलाफ नहीं है। बल्कि वह यह नहीं चाहते हैं, कि गुरुओं के शहीदी स्थल में किसी अन्य की शहीदी यादगार की स्थापना हो। सजा सुनने के बाद भावुक हुए परमजीत सिंह सरना ने कहा, कि वह हमेशा से ही श्री अकाल तख्त साहिब को समर्पित रहें हैं। उन्होंने कहा, कि उन्हें श्री अकाल तख्त साहिब से जो भी हुकुम हुआ है, वह उन्हें मंजूर है।  

सरना बन्धु श्री अकाल तख्त साहिब के सामने नतमस्तक

Thursday, July 4, 2013

उत्‍तराखण्‍ड में राजीव आवास योजना

04-जुलाई-2013 20:39 IST
दस हजार मकान पुनर्निमित किए जाएंगे
आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय उत्‍तराखण्‍ड में ध्‍वस्‍त हुए मकानों को फिर से बनाने के लिए के लिए इसकी योजना, डिजाइनिंग और पुनर्निमाण में मदद करेगा इसके लिए वह आवास एवं शहरी विकास निगम लिमिटेड- हुडको, भवन सामग्री और प्रौद्योगिकी संवर्धन परिषद- बीएमटीपीसी और हिंदुस्‍तान प्रिफैब लिमिटेड-एचपीएल की एक त‍कनीकी टीम को वहां तैनात करेगा। आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्री डॅा. गिरिजा व्‍यास ने आज मीडिया के साथ बातचीत में यह बात कही कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान रूडकी के विशेषज्ञों को भी टीम में शामिल कर इसे और सशक्‍त बनाया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि यह टीम शनिवार और रविवार को प्राकृतिक आपदा ग्रस्‍त उत्‍तराखण्‍ड का दौरा कर नुकसान का जायजा लेगी। 

उत्‍तराखण्‍ड सरकार को अपने मंत्रालय द्वारा पूर्ण सहायता के प्रति आश्‍वस्‍त करते हुए डॅा. गिरिजा व्‍यास ने कहा कि सभी प्रभावित नगर पालिकाओं/ अधिसूचित क्षेत्रीय परिषदों को विशेष मामले के तहत राजीव आवास योजना के अधीन लाकर गरीबों के नष्‍ट हुए मकानों को फिर से बनाने में मदद की जा सकती है और इन आपदा ग्रस्‍त क्षेत्रों को फिर से विकसित किया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि राजीव आवास योजना के अंतर्गत मंत्रालय द्वारा दस हजार मकान पुनर्निमित किए जाएंगे। उत्‍तराखण्‍ड के मुख्‍यमंत्री से आज टेलिफोन पर हुई बातचीत का हवाला देते हुए उन्‍होंने कहा कि हुडको को मकानों के निर्माण और ढांचागत सुविधाओं को फिर से बनाने के वास्‍ते 18 से 20 वर्षों के लिए तीन हजार करोड़ रूपये का दीर्घकालीन सुलभ ऋण मुहैया कराने का निर्देश दिया गया है। इसके अलावा स्‍वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना/ राष्‍ट्रीय शहरी आजीविका मिशन-एनयूएलएम भारत सरकार के श्रम मंत्रालय के माध्‍यम से शहरी क्षेत्रों में आजीविका के लिए प्रशिक्षण और स्‍व रोजगार के लिए मदद देगा। उन्‍होंने कहा उनके मंत्रालय ने भारत सरकार के विभिन्‍न योजनाओं तथा फंडों के माध्‍यम से आवासों के निर्माण के काम के समन्‍वय का भी प्रस्‍ताव रखा है तथा बाढ़ और चट्टान खिसकने से प्रभावितों के लिए पुनर्वास कार्यों के लिए 1.25 करोड़ रूपये प्रदान किए हैं। उन्‍होंने कहा कि उनके मंत्रालय तथा संबंधित कार्यालयों और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाईयों के सभी कर्मचारियों ने उत्‍तराखण्‍ड में राहत के लिए अपने एक दिन का वेतन सौंपा है। 

डॅा. व्‍यास ने जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीनिकरण मिशन के तहत हुई प्र‍गति का भी उल्‍लेख किया। उन्‍होंने कहा कि उसके तहत शहरी गरीबों को मूलभूत सेवाएं- बीएसयूपी और एकीकृ‍त आवास एवं मलीन बस्‍ती विकास कार्यक्रम-आईएचएसडीपी के अंर्तगत 31.05.2013 तक शहरी गरीबों के लिए आवास एवं मूलभूत सुविधाओं की 1608 परियोजनाओं के तहत 1.56 मिलियन आवासों को मंजूरी दी गई है जिसमें 41, 685 करोड़ रूपये से अधिक की लागत आएगी। इसके अलावा 22, 323 करोड़ रूपये की अतिरिक्‍त केन्‍द्रीय सहायता की प्रतिबद्धता पहले ही व्‍यक्‍त की जा चुकी है और अतिरिक्‍त 15, 733 करोड़ रूपये जारी किए गए हैं। उन्‍होंने कहा कि बीएसयूपी के तहत सभी 65 मिशन शहरों को इसके अंर्तगत लाया गया है और 927 छोटे और मध्‍यम शहरों को आईएसएचडीपी के तहत रखा गया है। लगभग 7, 13, 371 लाख मकान पूर्ण हो चुके हैं और 3, 79, 070 लाख मकान के निर्माण कार्य प्रगति पर है। इनमें 4, 75, 976 घरों को सौंप दिया गया है। 

उन्‍होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीकरण मिशन आधिकारिक रूप से 31 मार्च, 2012 को समाप्‍त हो गया लेकिन चल रहे कार्यों और राजीव आवास योजना पायलट चरण को पूरा करने के लिए 2014 तक बढ़ाया गया है। राजीव आवास योजना का यह चरण 2 जून, 2013 को समाप्‍त हो गया है। उन्‍होंने 12वीं योजना में जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीनिकरण मिशन को राजीव आवास योजना में विलय करके इसके क्रियान्‍वयन प्रक्रिया को शुरू करने की भी जानकारी दी। आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्री ने 12 वीं योजना काल में 28 लाख लोगों को कौशल प्रशिक्षण देने तथा 2.8 लाख लोगों को स्‍व रोजगार के उद्यम के लिए ऋण और सहायता देने के प्रस्‍ताव की भी बात कही उन्‍होंने यह भी बताया कि शहरी बेघर लोगों के लिए 1600 शरण गृह बनाने का भी प्रस्‍ताव है। (PIB)

मीणा-3080  एचडीएचओ/अजीत/निशांत-2000

Thursday, May 9, 2013

होनी फिर हो के रही कुछ न कियो उपाय

हिमाचल में एक और हादसा:ब्यास में गिरी बस
38 मौतों की आशंका:नशा, मोबाईल और अन्जानता ने ली जानें?
शिमला, 8 मई। पहाड़ी इलाकों में जहाँ एक एक कदम फूंक फूंक कर रखना पड़ता है वहां एक और  हादसे के कारण शोक का माहौल व्याप्त हो गया है। कुल्लू के निकट झिड़ी में बुधवार को एक निजी बस के ब्यास नदी में गिर जाने के कारण लगभग 40 लोगों के मारे जाने की आशंका है। डूबने वालों में से 33 के शव बरामद कर लिये गये हैं खोज का काम अभी जारी है। इस बार भी मारे गए लोगों में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं और बच्चों की संख्या भी काफी है। अशोका ट्रैवल्स की यह बस (एचपी 66-1538) कुल्लू से आनी जा रही थी। हालांकि दुर्घटना के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है। इस तरह के हादसों में अक्सर होने वाली लापरवाहियों की ओर एक बार फिर स्पष्ट संकेत मिला है इस हादसे से। आरम्भिक पूछताछ के दौरान पता चला है कि दुर्घटना के समय बस को चालक की जगह कोई और चला रहा था। गौरतलब है कि पहाड़ी इलाकों में अच्छे अच्छे जानकार अभ्यस्त ड्राईवर भी बेहद ध्यान से गाड़ी चलते हैं। लेकिन जब इस सीट पर स्टेयरिंग का नियन्त्रण किसी अन्जान, प्रशिक्षु या कम अभ्यस्त के हाथों में हो तो ऐसी दुर्घटना को कौन रोक सकता है?  
चालीस लोगों से जुड़े परिवारों में शोक व्याप्त करने वाले इस हादसे के सम्बन्ध में प्राप्त आरम्भिक जानकारी के अनुसार सवारियों से खचाखच भरी यह बस कुल्लू बस अड्डे से दोपहर सवा दो बजे के करीब रवाना हुई थी। इस में सवार लोग नहीं जानते थे कि वे मौत की आगोश में जा रहे हैं। करीब 18-20 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद ही यह दुर्घटनाग्रस्त हो गई। जिस स्थान पर यह बस गिरी है वहां नदी में पानी काफी गहरा था। बस नदी में गिरते ही उल्टी हो गई। उल्टी पड़ी इस बस में फंसे लोगों को बाहर निकालने में भारी दिक्कत आई। केवल पांच-छह लोग ही किसी तरह से बस से बाहर निकल पाए। ज्यादातर लोगों की मौत पानी के भीतर दम घुटने की वजह से हुई। कुछ शव पानी के बहाव में बह गए वहीं अधिकतर शव आखिर तक बस के भीतर ही फंसे रहे। पानी में बहे शवों का पता लगाने के लिए प्रशासन ने ब्यास नदी में पंडोह बांध तक अलर्ट घोषित कर दिया है। शवों को खोजने के प्रयास किए जा रहे हैं। पता चला है कि बस में क्षमता से अधिक यात्री सवार थे। इस तरह ओवरलोड हुई बस सीधे उफनती ब्यास नदी में जा गिरी। जिस कारण कुछ लोगों को वहां पर मौजूद राफ्टिंग कंपनी के राफ्टरों ने बचा लिया। बचाव कार्य करीब दो घंटा देरी से शुरू हुआ।  गौरतलब है कि आनी में जिला स्तरीय मेले का आयोजन चल रहा है जिसके चलते आनी की ओर जाने वाले लोगों की संख्या अधिक थी। बताया जाता है कि बस में 50 से लेकर 60 लोग सवार थे। दुर्घटना में घायल धीरज नामक एक युवक ने मीडिया को बताया कि इस बार भी दुर्घटना के समय बस काफी तेज गति से चल रही थी। इस तरह के हादसों में तेज़ रफ्तारी अक्सर होती है। दुर्घटना के समय घटना स्थल पर मौजूद एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार चालक काफी लापरवाही से बस चला रहा था। हालांकि जिस स्थान पर बस गिरी है वहां सड़क काफी चौड़ी है। यह भी कहा जा रहा है कि बस को चला रहा व्यक्ति शायद नशे में था और दुर्घटना के समय वह मोबाइल पर बात भी कर रहा था। सामने से आ रही एक गाड़ी को देखकर वह अचानक बस पर से नियंत्रण खो बैठा और बस नीचे जा गिरी। दुर्घटना के समय बस के चालक ने पहले ही छलांग मार दी। चालक अभी भी फरार है। पुलिस ने दुर्घटना को लेकर मामला दर्ज कर लिया है।  दुर्घटनाग्रस्त स्थल हालांकि मंडी जिले में है लेकिन कुल्लू से नजदीक होने के कारण कुल्लू  जिला प्रशासन ने राहत कार्यों को अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दुर्घटना की सूचना मिलते ही कुल्लू के जिला उपायुक्त शरव नेगी बचाव दल के साथ दुर्घटनास्थल पर पहुंच गए। प्रशासन ने बस को निकालने के लिए सबसे पहले क्रेन का इंतजाम किया। दो क्रेन एनएचपीसी से मंगाई गई और एक क्रेन एक निजी ठेकेदार से ली गई। इस दौरान यहां नदी में रिवर राफ्टिंग का व्यवसाय करने वाले युवकों ने बस में फंसे लोगों को निकालने में प्रशासन की भारी मदद की।  
गौरतलब है कि दुर्घटनाग्रस्त हुई बस में दो पत्रकार भी सवार थे। इनमें से बंसी नामक एक पत्रकार जहां लापता है वहीं दिलीप नामक दूसरे पत्रकार को भी चोटें आई हैं। कुल्लू के जिला उपायुक्त शरव नेगी ने संपर्क साधे जाने पर मीडिया को बताया कि सभी घायलों का इलाज किया जा रहा है। उन्होंने ये भी बताया कि तत्काल राहत के तौर पर सरकार की तरफ से घायलों और मृतकों के परिवार वालों को आवश्यक सहायता राशि भी उपलब्ध कराई गई है। अर्थात वह सब जरी है जो अक्सर हादसे के बाद होता है। 
इस दर्दनाक हादसे में 16 लोग घायल भी हुए हैं। जिनमें 6 लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है। सड़क हादसे में घायल लोगों में लैहणू राम पुत्र लाल चंद (23) दोहरानाला, 41वर्षीय ध्यान सिंह पुत्र पोशू निवासी जवाड़, धीरज (25) पुत्र अशरफी लाल बरेली, ज्ञान चंद पुत्र सीता राम गांधीनगर, राहुल पुत्र दिले राम नगवाईं, नाथू राम जमोट खोखण, दलीप कांगड़ा आदि शामिल है। प्रशासन की ओर से घायलों को फौरी राहत के तौर पर पांच हजार व मृतकों के परिजनों को 15 हजार रुपये की सहायता राशि उपलब्ध करवाई गई है। घायलों को निकलने में आईटीबीपी और होम गार्ड के जवानों ने भी सराहनीय कार्य किया। आस पास के लोग भी सहयोगी रहे. अब देखना है की इस हादसे के बाद भी कुछ ऐसे कदम उठाये जाते हैं या नहीं जो इन हादसों को रोक सकें।