Thursday, September 24, 2015

कुल्लू में आनंदमार्ग धर्म महासम्मेलन की तैयारियां मुक़्क़मल

श्रद्धेय पुरोधा प्रमुख का हुआ हवाई अडडे पर ज़बरदस्त स्वागत 
कुल्लू से विशेष रिपोर्ट: 
प्रेरणा: आचार्य दीदी रत्न ज्योति                                                      तस्वीरें और सहयोग आचार्य वैशाली दीदी
(देवभूमि स्क्रीन के लिए आलेख कार्तिका और दिलजोत)
आनन्द मार्ग भुक्तिं कमेटी लुधियाना के प्रधान श्री अशोक चावला अक्सर सुनाया करते हैं जनाब कृष्ण बिहारी नूर साहिब का कलाम जिसमें नूर साहिब ज़िन्दगी की निराशा को बहुत ही खूबसूरत ढंग से बयान करते हुए कहते हैं-

ज़िन्दगी से बड़ी सज़ा ही नहीं, 
और क्या जुर्म है पता ही नहीं।


इतने हिस्सों में बट गया हूँ मैं, 
मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं| 

ज़िन्दगी! मौत तेरी मंज़िल है 
दूसरा कोई रास्ता ही नहीं।

ज़िन्दगी! अब बता कहाँ जाएँ 
ज़हर बाज़ार में मिला ही नहीं।

धन के हाथों बिके हैं सब क़ानून 
अब किसी जुर्म की सज़ा ही नहीं।

कैसे अवतार कैसे पैग़म्बर 
ऐसा लगता है अब ख़ुदा ही नहीं।

श्री चावला इस लोकप्रिय ग़ज़ल को सुनाते हुए जवाब देते हैं कि आज जब इन्सान की ज़िंदगी ऐसी दयनीय और तरसयोग्य हो गयी है तो उसे रास्ता दिखा रहा है केवल आनंद मार्ग।  केवल बाबा ही हैं आज के तारणहार। 
श्री चावला के शब्दों में केवल अंधी श्रद्धा नहीं होती बल्कि वह अनुभव होता है जो उन्होंने अपने साथियों सहित लम्बे समय में देखा है। उनके विशवास की वजह केवल धार्मिकता नहीं बल्कि आनंद मार्ग की वह शिक्षा है जो जीवन की चुनौतियों को भगवान शेयर छोड़ने या फिर उनसे खुद भाग जाने की बजाए उनका सामना करने की शक्ति देती है। एक ऐसी शिक्षा जो जीवन से भरपूर है और मौत को मज़्ज़ाक़ करती महसूस होती है। तांड़व का डांस कुछ यही कहता है। जीवन में आने वाली मुसीबतों को कंकर पत्थरों की तरह रौंदते हुए आगे बढ़ते चलो। बाबा ने जो जो कहा बाबा के शिष्यों ने वह सब करके भी दिखाया।  इससे साबित होता है की यह पथ कितना प्रेक्टिकल है। इस पथ पर चलने वाले मार्गियों का एक सम्मेलन हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में होने जा रहा है।  तारीखें हैं 26 और 27 सितम्बर 2015 अर्थात कुल दो दिन का महासम्मेलन। इसके लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। ढालपुर प्रदर्शनी मैदान सज चूका है। वहां दूर दराज से आये साधक-साधिकाएं एकत्र हो रहे हैं। जिनकी साधना का तपोबल इस देवभूमि को और भी पावन और शक्तिशाली बना देगा। साधना की महक और सुंदरता इसे और भी मनोरम बना देगी। कुल मिलकर यह रमणीय स्थल और भी आकर्षक बन जायेगा। अगर आप अभी तक वहां नहीं पहुंचे तो अभी रवाना होने का कार्यक्रम बनाएं।