Friday, January 7, 2022

हिमाचल सरकार रेशम कीट पालन को देगी बढ़ावा--बिक्रम सिंह

7th January 2022 at 4:36 PM

रेशमकीट पालन से जुड़े किसानों के हितों की रक्षा होगी  


शिमला
:07 जनवरी 2022: (देवभूमि स्क्रीन ब्यूरो):: 

रेशमकीट पालन बहुत ही अच्छी कमाई देने वाला एक ऐसा घरेलू उद्योग है जिसे अपना कर अपनी आर्थिकता बदली जा सकती है। कच्चा रेशम बनाने के लिए रेशम के कीटों का पालन सेरीकल्चर या रेशम कीट पालन कहलाता है। यह निरंतर लोकप्रिय भी होता जा रहा है। 

रेशम उत्पादन का आशय बड़ी मात्रा में रेशम प्राप्त करने के लिए रेशम उत्पादक जीवों का पालन करना होता है। इससे न केवल आप खुद कमा सकते हैं बल्कि बहुत से अन्य लोगों को भी रोज़गार दे सकते हैं। अब तो इसने पूरी तरह से एक स्वतंत्र उद्योग का रूप ले लिया है। यह कृषि पर आधारित एक कुटीर उद्योग है जिससे ग्रामीण क्षेत्र में ही कम लागत में  शीघ्र उत्पादन प्रारम्भ किया जा सकता है। मुनाफा देख कर आप हैरान रह सकते हैं। हिमाचल सरकार इसे तेज़ी से बढ़ावा देने जा रही है। उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने इसी आशय का स्पष्ट एलान भी किया है। 

दिलचस्प बात है कि कृषि कार्य एवं अन्य घरेलू कार्यों के साथ-साथ इस उद्योग को अपनाया जा सकता है। श्रम जनित होने के कारण इस उद्योग में विभिन्न स्तरों पर रोजगार सृजन की भरपूर संभावनायें निहित है, विशेषकर महिलाओं के खाली समय के सदुप्रयोग के साथ-साथ उन्हें स्वावलम्बी बनाने में सहायक है।

इस उद्योग को सुखोनमुख क्षेत्रों में भी सफलतापूर्व स्थापित करते हुए नियमत आय प्राप्त की जा सकती है। इसके साथ ही विकास की रफ्तार तेज़ करने के साथ साथ यह पर्यावरण मित्र भी बना रहता है। 

उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने आज यहां उद्योग विभाग के रेशम अनुभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने रेशमकीट पालन क्षेत्र से जुड़े किसानों के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। 

उन्होंने कहा कि प्रदेश के विभिन्न मण्डलों के अन्तर्गत रेशमकीट बुनाई बुनकरों को लाभान्वित करने के लिए रेशमकीट प्रदर्शनी एवं प्रशिक्षण केन्द्र, रेशमकीट सामुदायिक केन्द्र, कोकून विपणन केन्द्र और सिल्क वाॅर्म सीड उत्पादन केन्द्र आदि स्थापित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मण्डी जिला के बालीचैकी में 494 लाख रुपये की लागत से सेरी एंटरप्रिन्योरशिप डवेल्पमेंट एंड इनोवेशन सेंटर (एसईडीआईसी) भवन का निर्माण किया जा रहा है। इस भवन के निर्मित होने से प्रदेश के और अधिक रेशम बुनकरों को प्रशिक्षित करने की सुविधा प्राप्त होगी और रेशम से जुड़े उत्पाद निर्मित किए जाएंगे। मण्डी जिला के थुनाग में 318 लाख रुपये की लागत से रेशम बीज उत्पादन केन्द्र के भवन का निर्माण किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार के स्टेट कैटेलेटिक डवेल्पमेंट प्रोग्राम के अन्तर्गत वर्ष 2020-21 में लगभग 271 लाख रुपये व्यय कर 12 हजार से अधिक किसानों को लाभान्वित किया गया है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में 79 रेशमकीट पालन केन्द्र हैं। प्रदेश के 1287.51 बीघा में शहतूत की खेती की जाती है। प्रदेश में वर्ष 2021-22 के दौरान अब तक 2 लाख 23 हजार शहतूत के पौधे वितरित किए गए हैं और 238 मीट्रिक टन कोकून का उत्पादन किया गया।

बिक्रम सिंह ने कहा कि प्रदेश में रेशम कीट पालन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यशालाएं का आयोजित की जाएंगी, जिससे रेशमकीट पालन किसानों को केन्द्र और राज्य सरकार के रेशम उद्योग विकास के लिए आरम्भ की गई विभिन्न योजनाओं की जानकारी उपलब्ध होगी।

बैठक में निदेशक उद्योग राकेश प्रजापति, उप निदेशक रेशम अनुभाग बलदेव चैहान और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।


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